Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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बपतिस्मा प्रभु यीशु मसीह ने कलीसिया को दो अनुष्ठान दिए है जिनमें पहला बपतिस्मा और दूसरा प्रभु भोज है। एक व्यक्ति ने नया जन्म पाया है, इसका बाहरी प्रकटीकरण है बपतिस्मा। बपतिस्मा लेकर एक व्यक्ति प्रभु यीशु पर अपना विश्वास और प्रेम प्रकट करता है। आदम परमेश्वर की आज्ञा ना मानकर पापी बन गया। लेकिन नया जन्म पाने वाला विश्वासी पानी में डुबकी ( बपतिस्मा ) लेकर परमेश्वर को सच्चा ठहराता है एवं शैतान को शर्मिंदा करता हैं। नया जन्म पाये हुए व्यक्ति को बपतिस्मा की जरूरत समझने के बाद खुद ही बपतिस्मा के आग्रह करना है। तब कलीसिया का एक परिपक्व विश्वासी (या प्रचारक या प्राचीन), उस विश्वासी को पानी में ‘‘पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा’’ के नाम में गवाहो के सामने डुबकी देता है। बपतिस्मा का आत्मिक अर्थ क्या है? बपतिस्मा शब्द का अर्थ है- डुबना। बपतिस्मा का आत्मिक अर्थ शुद्ध विवेक से परमेश्वर के वश में हो जाना है। (1 पतरसः3: 21) प्रभु यीशु मसीह के साथ जुड़ जाना - ( रोमियों:6: 3-5 ) कलीसिया के साथ जुड़ जाना - ( 1 कुरिन्थियों:12: 13 ) बपतिस्मा किसको देना चाहिए? जो व्यक्ति नया जन्म पाकर बपतिस्मा के लिए आग्रह करता है उसे ही बपतिस्मा देना चाहिए। बपतिस्मा से पहिले वचन की शिक्षा जरूरी है। ( प्रेरितों:8: 35-39 ), ( प्रेरितों:10:44-48 ) ( प्रेरितों:8:12 ) अविश्वासी या नासमझ को बपतिस्मा देना गलत है। क्या बपतिस्मा उद्धार के लिए जरूरी है या नहीं? उद्धार अनुग्रह ही से मिलता है। ( इफिसियों:2: 8-9 ) प्रभु यीशु मसीह के साथ सूली पर मरा हुआ एक चोर बपतिस्मा के बिना ही स्वर्गलोक गया। लेकिन अगर उद्धार पाया हुआ व्यक्ति बपतिस्मा लेने से मना कर रहा है, तो उसका विश्वास अधूरा है। ऐसा कहा जा सकता है कि बपतिस्मा स्वर्ग जाने के लिए नही, पर स्वर्ग जाने वालों के लिए है। नया जन्म पाये हुए एक व्यक्ति के लिए, प्रभु की प्रथम आज्ञा या पहला पड़ाव है बपतिस्मा। बपतिस्मा किस नाम से देना चाहिये? ( मत्ती:28: 19-20 ) के अनुसार पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से। यह स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मिलने के बाद प्रभु यीशु के द्वारा दिया गया वह आदेश है जो कभी नहीं बदल सकता। प्रभु ने कहा कि ”आकाश और पृथ्वी टल जाएंगी परन्तु मेरी बातें कभी ना टलेंगी। ( मत्ती:24: 35 ) क्या बपतिस्मा चर्च का सदस्य बनने के लिए जरूरी है? ( प्रेरितों 2: 47 ) के अनुसार उद्धार पाए हुए लोगों को प्रभु विश्वव्यापी कलीसिया में शामिल करता है। लेकिन, हां बपतिस्मा लेने के बाद ही स्थानीय कलीसिया उसको सदस्य होकर पहचानती है। क्या बपतिस्मा लेने से पवित्र आत्मा मिलता है? ( इफिसियों 1: 13-14 ) के अनुसार सत्य के वचन सुनने के बाद उस पर विश्वास करने से पिता उन्हें पवित्र आत्मा से मुहर लगाता है। यानि पवित्र आत्मा उद्धार के समय ही मिल जाता है ना कि बपतिस्मा लेने से। जिनका शरीर परमेश्वर का मंदिर बन गया है केवल उन्हीं को बपतिस्मा लेना चाहिऐ। क्या एक व्यक्ति को दोबारा बपतिस्मा दे सकते है? वचन के अनुसार नया जन्म पाया हुआ व्यक्ति पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम में बपतिस्मा लिया है तो उसको दोबारा बपतिस्मा लेना गलत है। लेकिन ( प्रेरितों 19: 1-5 ) नये नियम में युहन्ना के चेलों को दोबारा बपतिस्मा देते हुए दिखाया गया है। नया जन्म पाये बिना ही लिए गये बपतिस्मा की कोई अहमियत नहीं हैं। बचपन में या नया जन्म से पहले ही बपतिस्मा लिये हुए व्यक्ति को, वचन के अनुसार नया जन्म पाने के बाद प्रभु की आज्ञा को पालन करने के लिए बपतिस्मा लेना जरूरी है।
यीशु के पीछे मैं चलने लगा (3) न लौटूंगा। (2) 1 गर कोई मेरे साथ न आवे (3) न लौटूंगा । (2) 2 संसार को छोडकर सलीब को लेकर (3) न लौटूंगा। (2) 3 संसार में सबसे प्रभु है कीमती (3) न छोडूंगा। (2) 4 अगर मैं उसका इन्कार न करूं (3) ताज पाऊंगा। (2)