Class 1, Lesson 20: एलियाह और कौवे

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Lesson Text

आज हम देखेंगे कि परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता एलिय्याह की देखभाल कैसे की। एलिय्याह एक भविष्यद्वक्ता था जो लोगों को परमेश्वर की सेवा करना सिखाता था। प्रभु एलिय्याह से बातें करता था और वह लोगों को परमेश्वर की बातें कहता था। इस्राएलियों का एक दुष्ट राजा था जिसका नाम अहाब था। परमेश्वर की आज्ञा पालन न करके उसने एक मूर्ती बनाई। इस्राएल के कई लोगों ने राजा को देखकर वैसा ही किया। तब एलिय्याह आगे आया। उसने प्रार्थना की कि वर्षा न हो ताकि लोगों को सबक मिले। उनको समझना जरुरी था कि मूर्ति उनके लिए कुछ नहीं कर सकती। उसने राजा के पास जाकर कहा, “इन वर्षों मे मेरे बिना कहे वर्षा नहीं होगी ” उसी के अनुसार न तो वर्षा हुई और न ही उपज हुई और एक भयंकर आकाल आया । उन दिनों में परमेश्वर ने एलिय्याह को अपनी योजना अनुसार सम्भाला। परमेश्वर ने एलिय्याह को यरदन के करीब एक नाले के पास रहने को कहा। परमेश्वर ने कहा, “मैने कौवों को तुझे खिलाने की आज्ञा दी है।” पक्षियों को परमेश्वर ने बनाया है, और वह उन्हे जो चाहे करने की आज्ञा दे सकता है। एलिय्याह ने परमेश्वर की बात सुनी। वह नाले के पास रहा और उस में से पानी पीता था। सुबह के समय कुछ कौवे वहा आए और उन्हों ने थोड़ी रोटी और मांस वहा गिराया। एलिय्याह को भोजन मिला। शाम के समय फिर कौवे रोटी और मांस लेकर आए। ऐसा ही हर रोज होता था। कुछ समय के बाद नाला सुख गया और वर्षा भी नहीं हो रही थी। तब परमेश्वर ने एलिय्याह को ओर कहीं भेजा। हमें याद रखना चाहिए कि सूर्य प्रकाश और वर्षा देनेवाला परमेश्वर है। वही हमें भोजन देता है। यदि हम उस पर भरोसा करें और उसकी आज्ञाओं का पालन करें तो वह हमारी अवश्यक्ताओं को पूरी करेगा।

Excercies

Song

कौवा बोला, का-का-का एलियाह बोला, हाँ-हाँ-हाँ रोटी लाया, खा-खा-खा प्रभु, धन्य-धन्य-धन्य प्रभु का कहना मानोगे तो सारा जहान तेरे लिए जरूर झुकेगा प्रभु आप राह निकालेगा वह तुझे सदा संभालेगा