Class 2, Lesson 32: यीशु पानी के ऊपर चलता है

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पाँच रोटी और दो मछली से 5000 लोगों को खिलाने के बाद चेलों को विश्वास करना चाहिए था, कि प्रभु के लिए कुछ असंभव नहीं है | परन्तु क्या तुम उस अवसर के बारे में जानते हो जब वे बहुत डर गए ? प्रभु यीशु ने अपने चेलों को नाव पर चढ़ाया ताकि वे गलील की झील के पास चले जाएँ | प्रभु स्वयं प्रार्थना करने के लिए पहाड़ पर चले गए | वे परमेश्वर के पुत्र थे और अपने पिता के साथ एकांत में बहुत समय व्यतीत करते थे | पार जाने के लिए प्रभु की आज्ञानुसार चेले गलील की झील में काफी दूर निकल गए, और तेज़ हवा के कारण लहरें इतनी ऊंची उठ रही थी कि उन्होंने सोचा कि नाव डूब जाएगी | प्रभु उनके साथ नहीं थे और वे सब बहुत भयभीत थे | परन्तु प्रभु उनको भूले नहीं थे | हमारे जीवन की परीक्षाएँ और कठिनाइयाँ हमें अपने परमेश्वर पर विश्वास करना सिखाती हैं | प्रभु रात के चौथे पहर ( सुबह के 3 से 6 बजे के बीच का समय ) तक रुक कर फिर चेलों के पास गए | जब चेलों ने तूफान के बीच किसी को पानी पर चलकर अपनी ओर आते देखा तो इतना अधिक डर गए कि प्रभु को नहीं पहचान पाए | उन्होंने सोचा कि कोई भूत होगा | प्रभु यीशु ने उसके कहा , ''डरो मत , मैं हूँ !'' प्रभु की आवाज़ सुनकर पतरस को हिम्मत हूई, उसके कहा , ''प्रभु मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे |'' प्रभु ने कहा , ''आ'' पतरस प्रभु के पास जाने के लिए निडरतापूर्वक नाव से उतरा, परन्तु जब हवा को देखकर डर गपा और डूबने लगा और | पतरस ने चिल्लाकर कहा ,'' हे प्रभु मुझे बचा |'' प्रभु यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे थम गई |तब नाव पर जितने लोग थे ,उन्होंने दण्डवत करके कहा , ''सचमुच तू परमेश्वर का पुत्र है |''

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