Class 3, Lesson 12: गिदोन

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Lesson Text

जब गिदोन मिद्यानियों से छिपकर दाखरस के कुण्ड में गेहूँ झाड़ रहा था, तब परमेश्वर के एक दूत ने उसे दर्शन देकर कहा ”..........हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है ।.... .....जा और तू इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाएगा ।“ गिदोन घबरा कर इसपर आपत्ति जताया, परन्तु परमेश्वर ने कहा ”निश्चय मैं तेरे संग रहूँगा ।“ तत्पश्चात परमेश्वर ने उससे कहा, कि अपने पिता का दूसरा बैल जो सात वर्ष का है, लेकर बाल देवता की वेदी के पास जा । तब उसने परमेश्वर की अज्ञा के अनूसार बाल की वेदी को गिरा कर उसपर खड़ी लकड़ी की मूर्ति को काट डाला ।और उसने उस स्थान पर एक नई वेदी बनाकर बैल को बलिदान के रूप में परमेश्वर को भेंट चढ़ाया और उसने जलावन के लिए बाल की वेदी पर खड़ी लकड़ी की मूर्ति का उपयोग किया । गिदोन अपने संग दस दासों को लेकर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार किया, क्योंकि वह न केवल नगर के लोगों से पर अपने घराने के लोगों से भी डरा हुआ था । इसलिए उसने रात में ही बलिदान चढ़ाने का कार्य संपन्न किया । बाल की वेदी बनाकर इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया था ? क्या आप जानते हैं, उन्होंने कौन सी आज्ञा का उल्लंघन किया था ? तब उनके शत्रु आकर गिदोन और उसके लोगों से लड़ने लगे । मिद्यानियों और अमालेकियों की सेना बहुत बड़ी थी, परन्तु परमेश्वर का आत्मा गिदोन पर आया । परमेश्वर के संतानों को सदा पवित्र आत्मा की सामर्थ से ही युद्ध करनी चाहिए । (इफि 5ः18) गिदोन ने नरसिंग फूँका और उसके चारों ओर बड़ी संख्या में इस्राएली इकट्ठे हो गये परन्तु परमेश्वर ने उससे कहा उसकी यह सेना बहुत बड़ी है । जब कभी भी परमेश्वर कोई आश्चर्यकर्म करते हैं, तो वह बहुत ही कम लोगों या बहुत की कमजोर लोगों को, जो बिना सन्देह किये हुये उन पर भरोसा रखते हैं, उपयोग कर अपने सामर्थ को प्रगट करते हैं । इसलिए गिदोन ने लोगों से कहा कि जो डरे हुए हों वे लौटकर घर चले जाये । डरपोकों का उनका परमेश्वर के युद्ध में कोई भी भाग नहीं होता । तब बाइस हजार लोग घर लौट गए और केवल दस हजार लोग रह गए, पर अब भी परमेश्वर ने कहा लोग अधिक है । इसलिए गिदोन उन्हें एक सोते के पास पानी पीने के लिए भेजा । परमेश्वर ने गिदोन से कहा, जितने कुत्ते की नाई जीभ से पानी चपड़-चपड़ कर पीएँ उनको घुटने टेककर पानी पीनेवालों से अलग रखना । जिन्होंने मुँह में हाथ लगा चपड़-चपड़ करके पानी पिया उनकी गिनती तीन सौ ठहरी, जो हर मुसीबत के लिए उनकी तैयारी को प्रदर्शित कर रहा था । परमेश्वर ने केवल तीन सौ लोगों के छोटे झुण्ड को चुना और अन्य सभी को अपने घर भेजा दिया । अब गिदोन के पास एक बड़ी सेना से युद्ध करने के लिए मात्र तीन सौ लोग थे । मिद्यानी और अमेलेकी यिज्रेल की तराई में इकट्ठे हुए थे । गिदोन ने उनसे युद्ध करने के लिए एक चाल चली । उसने अपने लोगों के एक सौ पुरूषों के तीन झुण्ड किये और हर एक के हाथ में एक नरसिंगा और खाली घड़ा दिया, जिसके भीतर एक मशाल थी । वे रात्रि में ही कूचकर शत्रु की छावनी के चारों ओर तीन जगहों में फैल गये, तब गिदोन ने उनको एक संकेत दिया और उसके पुरूषों ने नरसिंगो को फूँका और मशालों को हाथों में लेकर घड़ों को तोड़ डाला, अन्य दो झुण्डों ने भी ठीक इसी तरह किया । शत्रु की सेना इससे चकित होकर अत्यंत भयभीत हो गई । उन्हें भागने के रास्ते का भी ज्ञान नहीं था, वे चिल्ला उठे और एकाएक भागने लगे और अपनी व्याकुलता के कारण अपने संगीयों के साथ ही युद्ध करने लगे, जबकि गिदोन और उसके लोग अब भी नरसिंगें फूँक रहे थे और अपनी मशालें दिखा रहे थे । जब शत्रु की सेना भाग खड़ी हुई तब गिदोन ने एप्रैमी और अन्य गोत्रों को संदेश भेजा कि आकर शत्रु को देश से बाहर निकालने में उनकी सहायता करें

Excercies

Song

With Christ in the vessel we can smile at the storm (3)(Repeat) As we go sailing home; Sailing, Sailing home (2) With Christ in the vessel we can smile at the storm As we go sailing home.