Class 4, Lesson 19: मीका

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क्या आपके बुरे मित्र है? बुरी संगति हमेशा खतरनाक होती है, है ना? क्या आपको ऐसा कोई अनुभव है? (चर्चा के लिये कुछ समय दें)। आज हम एक ऐसे राजा के विषय देखेंगे जो बुरी संगति में पड़ गया था। सुलैमान की मृत्यु के बाद इस्राएल दो भागों में बँट गया था। बिन्यामिन के साथ यहूदा एक राज्य था जबकि अन्य दस गोत्रों ने इस्राएल नामक दूसरा राज्य बना लिया। करीब सभी राजा जिन्होंने इस्राएल पर राज्य किया, वही किया जो परमेश्वर की दृष्टि में बुरा था। उनमें आहाब ऐसा था जिसने उसके पहले के किसी भी राजा से बढ़कर बुराईयाँ की। उसकी पत्नी इजेबेल बहुत दुष्ट स्त्री थी। आहाब के दिनों में यहोशापात यहूदा का राजा था। यहोशापात परमेश्वर का भय मानता था और उसी के मार्गों पर चलता था। परमेश्वर ने यहोशापात को आशीष दिया और वह बलवान बन गया।एक दिन यहोशापात आहाब से सामरिया में मिला जो दस गोत्रों की राजधानी का नगर था। फिर उसने यहोशापात के उसके साथ सीरिया के राजा के विरुद्ध लड़ाई में साथ चलने को कहा। यहोशापात अपनी सेना लाने और आहाब के साथ जाने को तैयार हो गया। परमेश्वर की संतानों को दुष्ट लोगों के साथ नहीं जुड़ना चाहिये। ‘‘अविश्वासियों के साथ असमान जुए में न जुतो,’’ यह प्रभु की आज्ञा है (2 कुरि 6:14) अहाब की योजना थी कि सीरिया से रामोत-गिलाद वापस ले लिया जाए। हमने शरण के नगरों के विषय पढ़ा है। यह रामोत नगर गाद के देश में शरण का नगर था और यह लेवियों को दिया गया था (यहोशू 21:38; व्यवस्थाविवरण 4:43)। परंतु सीरियाइयों ने उसे ले लिया था। यहोशापात जो परमेश्वर का भय मानता था युद्ध में जाने से पहले परमेश्वर की इच्छा जाननी चाही। परमेश्वर की संतानों को केवल वही कार्य करना चाहिये जो परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं। सामान्यतः इस्राएली लोग युद्ध में जाने से पहले परमेश्वर की इच्छा पूछते थे। अहाब ने बाल के 400 भविष्यद्वक्ताओं को साथ में लाया जिनकी वह सेवा करता था। वे परमेश्वर के सच्चे भविष्यद्वक्ता नहीं थे। वे ऐसे भविष्यद्वक्ता थे जो राजा को प्रसन्न करने के लिये भविष्यवाणी करते थे। उनकी बातों से ही यहोशापात समझ गया कि वे सच्चे भविष्यद्वक्ता नहीं थे, इसलिये उसने अहाब से पूछा कि क्या परमेश्वर की ओर से कोई और भविष्यद्वक्ता नहीं है? अहाब ने कहा, ‘‘अब भी एक है, परंतु मैं उससे नफरत करता हूँ क्योंकि वह मेरे लिये कभी अच्छी भविष्यवाणी नहीं करता। वह यिम्ला का पुत्र मीकायाह है।’’ संसार के दुष्ट लोग उन्हें पसंद नहीं करते जो परमेश्वर का वचन बोलते हैं। जब यहोशापात ने मीकायाह को बुलाने की जिद की तो अहाब ने उसे बुलवा भेजा। जिस दूत ने मीकायाह को साथ लाया था उसने उससे कहा कि वह अहाब की विजय की भविष्यवाणी करे, जैसा कि अन्य भविष्यद्वक्ताओं ने किया था, परंतु मीका ने कहा कि वह केवल वही करेगा जो परमेश्वर उसे बताएगा। पहले तो मीकायाह ने राजा के युद्ध में जाने के पक्ष में कहा, परंतु उसकी आवाज से अहाब जान गया कि जो वह कह रहा था, उसका अर्थ वैसा नहीं था।अहाब ने फिर से मीकायाह से पूछा कि उसे क्या करना चाहिये। फिर मीका ने एक दृष्टांत के द्वारा बताया कि अहाब और इस्राएल का क्या होने वाला है। सबसे पहले उसने उसके सिंहासन के विषय परमेश्वर के दर्शन को बताया जो अहाब का नाश होने वाला था। फिर उसने इस्रालियों को बिन चरवाहे की भेड़ बताया, ऐसे लोग जिनका कोई स्वामी नहीं। उसने अंत में यह कहा कि परमेश्वर ने दूसरे भविष्यद्वक्ताओं के मुँह में झूठ बोलने वाली आत्माएँ डाल दिया है। इस पर सिदकिय्याह ने, जो अहाब के मुख्य भविष्यद्वक्ताओं में से एक था, मीकायाह के मुँह पर थप्पड़ मार दिया और अहाब ने उसे बंदीगृह में डालने का आदेश दिया। वे लोग जो सचमुच परमेश्वर पर विश्वास करते हैं और उनमें परमेश्वर का वचन सुनाने का हियाव है उन्हें अक्सर निन्दा और सताव से गुजरना होता है। अहाब और यहोशापात युद्ध में गए। क्या आप कभी-कभी वही करने की दुविधा में नहीं पड़ते जो आप जानते हैं कि परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध है? यही बात उन राजाओं ने किया। अहाब ने सोचा कि वह लड़ाई जीत जाएगा और सुरक्षित वापस आ जाएगा, परंतु उसके हृदय में वह भयभीत था। इसलिये उसने स्वयँ छद्मवेश धारण किया और युद्ध में गया। जब आप अपना रूप बदलने की कोशिश करते हैं तब आप दूसरों को धोखा दे सकते हैं, परंतु आप परमेश्वर को धोखा नहीं दे सकते। अहाब युद्ध में मारा गया, और जैसा कि परमेश्वर ने एलिया के द्वारा पहले चेतावनी दी थी (1 राजा 21:19), कुत्तों ने उसके खून को चाटा। परमेश्वर की धार्मिकता पश्चातापरहित पापी को सजा से वंचित नहीं रखती। नोट : मीकायाह - जो याह के समान है (परमेश्वर) 1 राजा 20:35-43 में नामरहित भविष्यद्वक्ता मीकायाह हो सकता है

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मैं सत पथ पर जीवन को बलिदान कर दूं, मुझे ऐसी हिम्मत जिगर जान दे दो, जीवन नदी में भवर गहरे गहरे, यह नय्या ना डूबे तुम ही ध्यान दे दो।। मुझे अपना दीदार पहचानने दो, मुझे भक्ति करने का कुछ ज्ञान दे दो, हे यीशु मुझे तुम अपना बना लो, मुझे सेवा करने का वरदान दे दो ।