Class 4, Lesson 40: उनेसिमुस

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बाइबल की 66 पुस्तकों में से, पांच पुस्तकों में प्रत्येक के केवल एक ही अध्याय है - फिलोमोन की पत्री उनमें से एक है। अन्य पुस्तकों के नाम हैं - ओबद्याह, 2 यूहन्ना, 3 यूहन्ना और यहूदा है। यह पत्री एक पत्र है जो प्रेरित पौलुस ने फिलोमोन को लिखा था जो कुलुस्से में एक धनी व्यक्ति था और जो पौलुस की सेवकाई द्वारा बचाया गया था। उन दिनों में धनी लोगों के पास गुलाम हुआ करते थे। उन गुलामों को कोई स्वतंत्रता नहीं होती थी। उनेसिमुस फिलोमोन के घर में एक गुलाम था। परंतु उसने अपने स्वामी को छोड़ दिया और रोम भाग गया। उस समय पौलुस रोम में कैदी था। उनेसिमुस उससे वहीं मिला था, पौलुस से सुसमाचार सुना और बचाया गया। जब उनेसिमुस का नया जन्म हुआ तब वह अपने स्वामी से मेलमिलाप करना चाहता था। परमेश्वर की संतानों को चाहिये कि उन्होंने जो गलतियाँ कीया हैं उसे सुधार लें। पौलुस भी चाहता था कि उनेसिमुस ऐसा करे। उसी समय प्रेरित ने फिलोमोन के यह पत्र लिखा और उसे तिखीकुस के हाथ से भेजा जो उनेसिमुस को वापस फिलेमोन के पास ले जा रहा था (कुलु 4:7-9) यह पत्री एक नमूनापत्र है। इसके चार भाग हैं, 1) अभिवादन 2) फिलेमोन के प्रेम की प्रशंसा 3) उनेसिमुस के लिये पौलुस का निवेदन 4) अंतिम अभिवादन और आशीष। पहले भाग से हमें फिलेमोन के विषय कुछ जानकारी मिलती है। यद्यपि उसके पास अन्य कार्य भी थे, वह प्रभु की सेवा भी करता था। पौलुस उसे संगीकर्मी कहता है। परमेश्वर की सभी संतानों को परमेश्वर की सेवा में क्रियाशील रहना चाहिये - मसीह की गवाही देना पूरे समय के प्रचारकों का ही काम नहीं है। स्थानीय कलीसिया फिलेमोन के घर पर इकट्ठी होती थी। उसने अपना घर परमेश्वर के लोगों को मिलने के लिये खोल दिया था। उसकी पत्नी अफफिया भी विश्वासिनी थी। पौलुस अरखिप्पुस के विषय कहता है। जाहिर है कि वह फिलेमोन का पुत्र था। यदि ऐसा है तो फिलेमोन और उसका परिवार प्रभु से प्रेम करते थे। यह विशेष आनंद की बात होती है जब परिवार के सभी सदस्य परमेश्वर की संतान होते हैं। हमें परिवार के उद्धाररहित सदस्यों के लिये विशेष प्रार्थना करना चाहिये। फिलेमोन परमेश्वर के लोगों को मदद और प्रोत्साहित करता था। आइये हम भी संगी विश्वासियों की मदद करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। चौथे पद में प्रेरित पौलुस कहता है कि वह प्रार्थना में फिलेमोन की याद हमेशा करता है। यह एक विशेष अनुग्रह है कि परमेश्वर की संतानें एक दूसरे को प्रार्थना में याद रखें। परमेश्वर चाहता है कि हम ऐसा ही करें।ग्रहण कर जैसे मुझे यदि उसने तेरी कुछ हानि की है, या उस पर तेरा कुछ आता है, तो मेरे नाम पर लिख ले।’’ गुलामों से अक्सर जानवरों जैसा पेश आया जाता था परंतु वह गुलाम जो मसीह यीशु के लहू द्वारा छुड़ाया गया था, उसके साथ पौलुस पुत्र का सा व्यवहार करता है। पौलुस जो एक दोषी गुलाम और उसके स्वामी के बीच में खडा है, और गुलाम के लिये निवेदन करता है, हमारे प्रभु यीशु मसीह के समान है जो हम खोए हुए पापियों के और परमेश्वर के बीच खड़ा है। प्रभु ने हमारी पापों की सजा अपने उपर ले लिया। हममें से प्रत्येक की ओर देखकर वह पिता से कहता है, ‘‘इसे वैसे ही ग्रहण कर जैसे मुझे।’’ वह हमारे और परमेश्वर के बीच मध्यस्थ है (1 तीमु 2:5) पत्री की शुरूवात और अंत में, पौलुस लिखता है, ‘‘हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे।’’ जो हमें सबसे ज्यादा पाने की इच्छा करना चाहिये और जिसकी हमें सबसे ज्यादा आवश्यकता होना चाहिये वह प्रभु का अनुग्रह है। हम इस पाठों के अंत में आ गये हैं। प्रभु का अनुग्रह हम पर था और उसने इन महिनों में हमारी सहायता किया जो बीत चुके हैं। आइये हम प्रार्थना करें कि उसका अनुग्रह हम सब पर होता रहे। नोट : फिलेमोन की पत्री सन् 60 और 65 के बीच रोम में लिखी गई थी। कहा जाता है कि फिलेमोन सम्राट नेरो के शासनकाल में शहीद हुआ था। और फिलेमोन का घर जो कुलुस्से में था, 5वीं शताब्दी तक बना रहा था। पद 21 में ये शब्द ‘‘यह जानता हूँ कि जो कुछ मैं कहता हूँ, तू उससे कहीं बढ़कर करेगा’’ यह उनेसिमुस को गुलामी से स्वतंत्रता देने, और उसे वापस मदद हेतु पौलुस के पास भेजने की सलाह है। हुआ यह कि फिलेमोन ने उनेसिमुस को उसकी स्वतंत्रता दे दिया, और वह बाद में इफुसिस की कलीसिया में जिम्मेदार प्राचीन बन गया।

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प्यार करो तुम एक दूजे से हुक्म खुदा का है तुम में हमेशा बने रहे ये वायदा उसका है, प्यार खुदा का पाने को यीशु में बने रहो। बने रहो तुम बने रहो यीशु में बने रहो, रूह में गाओ, रूह में झूमो यीशु में बने रहो।