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न्यायी (क्रमागत) 9. यिप्तह (11:1-12:7) यिप्तह नामक गिलादी एक महान योद्धा था। उसकी माता एक वेश्या थी। उसका पिता का नाम भी गिलाद था उसकी वैध पत्नी से भी अनेक पुत्र थे। उन्होंने अपने सौतेले भाई यिप्तह को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने उसे देश से निकाल दिया। उसने देश के निकम्मे लोगों के मध्य शरण लिया। जल्द वह उन्मा नायक और अगुवा बन गया। अ. यिप्तह - इस्राएल की सेना का प्रधान (11:4-11) जब अम्मोन के राजा ने इस्त्राएल के विरूद्ध लड़ाई की तैयारी किया, तब प्राचीन लोग तोब को गए और यिप्तह से अपनी सेना का प्रधान होने का निवेदन किया क्योंकि उन्होंने जाना था कि उसमें नेतृत्व के गुण थे। यिप्तह ने उनके मध्य से अपने आपको निकाले जाने के दिनों का स्मरण किया, और केवल इस शर्त पर उनकी सेना की अगुवाई करने पर सहमत हुआ कि यदि शत्रुओं के विरूद्ध वह जीत जाता है तो उसे इस्त्राएल का प्रधान बनाया जाएगा। लोगों ने उसे अपना अगुवा बनाया, और वह अम्मोनियों से युद्ध करने निकला। ब.अम्मोनियों पर यिप्तह की विजय (11:29-30) प्रभु के आत्मा से परिपूर्ण, यिप्तह पहले मिस्पा को गया। वहाँ उसने प्रभु के लिए एक मन्नत मानी। पहले तो वह प्रभु के लिए ठहरा। यह प्रभु पर उसके भरोसे और उसके मार्गों पर उसकी निर्भरता को दर्शाता है। उसे प्रतिज्ञात देश की ओर इस्त्राएलियों की यात्रा में प्रभु के समस्त पराक्रमी तथा अद्भुत कार्यों के विषय ज्ञात था। अम्मोनी राजा को उसका संदेश एक चेतावनी था (11:12-27)। प्रभु के 'योद्धा' का परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। इसके अलावा उसे प्रभु के वचन मालूम होना चाहिए। 11:33 में हम पढ़ते हैं कि यिप्तह ने अम्मोनियों को अपने अधीन किया। क. यिप्तह अपनी पुत्री की बलि चढ़ाता है (11:36-40) यिप्तह ने प्रभु से मन्नत मांगा था कि यदि प्रभु अम्मोनियों को उसके अधीन कर देगा तो घर लौटने पर जो भी सबसे पहले उसके घर के द्वार से निकलेगा उसे वह प्रभु के लिए होमबलि करके चढ़ाएगा। विडम्बना थी कि, उसकी पुत्री उससे मिलने को निकली और यिप्तह उसे बलि चढ़ाने से पीछे नहीं हटा। प्रभु इस बलिदान से प्रसन्न नहीं था। परंतु कनानियों में मनुष्यों की बलि की प्रथा थी। इस घटना ने यिप्तह की दृढ़ इच्छा को प्रमाणित किया। ड.एप्रैम विरुद्ध युद्ध (12:1-6) जैसा कि गिदोन के समय हुआ था, एप्रैम के लोगों ने यिप्तह से पूछा कि उसने युद्ध में उन्हें क्यों नहीं बुलाया था। यह घटना उस गृह युद्ध को दर्शाती है जो इस्राएलियों में उनके गोत्रों के मध्य था। यिप्तह ने, गिदोन के विपरीत, विरोध किया और उन्हें हटा डाला। उसने छः वर्ष तक इस्राएल का न्याय किया। 10. इबसान (12:8-10) बैतलहम (शायद जबूलत का बैतलहम न कि बैतलहम-एप्राता, (यहोशू 19:15) निवासी इसबान ने सात वर्ष तक इस्राएल का न्याय किया। तीन पुत्रों एवं तीस पुत्रियों के लिए जीवनसाथी ढूंढ़ने को उसकी सबसे बड़ी 'उपलब्धी' बताई गई है। यहाँ हम एक ऐसे व्यक्ति का उदाहरण देखते हैं जिसकी रूचि परमेश्वर के घराने से अधिक उसके अपने घराने में थी। 11. एलोन (12:11) उसने 10 वर्षों तक इस्राएल का न्याय किया। वह एक जबूलूनी था। 12. अबदोन एलोन के पश्चात, पिरातोनी हिल्लेल के पुत्र अब्दोन ने आठ वर्ष तक इस्राएल का न्याय किया। उसके समय के विषय कोई विवरण नहीं दिया गया है। (पिरातोन - एप्रैम प्रक्षेत्र में अमालेकियों के पहाड़ी देश में एक नगर था)
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