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एली एली एली "शीलो" में प्रभु के भवन में याजक था। उसने चालीस वर्ष तक इस्राएल का न्याय किया। वह धर्मी, नम्र तथा परमेश्वर का भय मानने वाला था। वह परमेश्वर के विरूद्ध पाप के परिणाम को भलीभांति जानता था। एली के पुत्र यद्यपि एली एक भला पुरुष था, वह एक न्यायी तथा पिता के रूप में असफल रहा। वह अपने घर तथा देश पर सही रीति से शासन नहीं कर सका। एली के पुत्र निकम्मे थे। वे प्रभु को नहीं जानते थे (1 शमू. 2:12)। उन्होंने प्रभु के बलिदानों का आदर नहीं करते थे। वे अपने पिता आज्ञा नहीं मानते थे। वे बुरे मार्गों पर चलते थे और इसलिए संपूर्ण प्रजा पर शाप लाते थे। एली की कमज़ोरी परमेश्वर एली के घराने को आशीष देना तथा सम्भालना चाहता था। तथापि, एली के दो पुत्र होप्नी और पीनहास, परमेश्वर का भय नहीं मानते थे। एली उन्हें परमेश्वर के लिए चढ़ाए बलिदानों का निरादर करने से रोक नहीं सका। उसने न तो उन्हें डांटा न ही उनके पाप करने पर उन्हें कड़ा दण्ड दिया। वास्तव में एली परमेश्वर से बढ़कर अपने पुत्रों का आदर करता था (1 शमू. 2:29)। क्योंकि एली ने उन्हें ऐसे पापों से नहीं रोका, संपूर्ण परिवार पर परमेश्वर का दण्ड आया। परिणाम एली के संपूर्ण परिवार ने परमेश्वर का निरादर करने का दण्ड भोगा। परमेश्वर ने एक अज्ञात नाम नबी (2:27-35) और एक छोटे बालक, शमूएल को उपयोग किया कि एली को चेतावनी का संदेश दे (3:11-18)। एली के घराने के अधर्म का दण्ड यह था कि उसके परिवार के समस्त वंशज जवानी में ही मर जाएंगे। उस घराने में कभी कोई बूढ़ा नहीं होने पाएगा। परमेश्वर एक अन्य नबी को खड़ा करेगा जिसके सामने एली का घराना चांदी का एक सिक्का या एक रोटी पाने के लिए दण्डवत करेगा। इस प्रकार जो याजकीय वंश थे वे भीख माँगेंगे। एली की मृत्यु एली की वृद्धावस्था में उस पर परमेश्वर का दण्ड पड़ा। पलिश्तियों द्वारा वाचा का संदूक छीन लिया गया। युद्ध में एली के पुत्रों समेत तीस हजार इस्राएली मारे गए। संदूक के छीन लिए जाने का समाचार सुनकर, एली अपने आसन से पीठ के बल द्वार पर गिर पड़ा जिससे उसकी गर्दन टूट गई। वह मर गया। यह तथ्य कि एली को अपने पुत्रों की मृत्यु से अधिक वाचा के संदूक के छिन जाने से दुख हुआ था एली के अच्छे गुणों में से है।
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