Class 6, Lesson 34: स्वर्गारोहण

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स्वर्गारोहण अपनी सेवकाई के अंतिम समयों में हमारे प्रभु ने अपने शिष्यों से कहा, "मेरे पिता के घर में रहने के बहुत से स्थान हैं। यदि न होते, तो मैं तुमसे कह देता, क्योंकि मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करूँ तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2,3)। अब अपनी मृत्यु एवं पुनरुत्थान के द्वारा उद्धार का कार्य पूरा करने के पश्चात् उसके लिए वापस अपने पिता के घर जाने का समय आया। पुनरुत्थान के पश्चात् उसने अनेक ठोस प्रमाणों से उन पर अपने आप को जीवित प्रकट किया (प्रे.काम 1:3)। पुनरुत्थान के पश्चात् चालीसवें दिन की भोर को प्रभु अंतिम बार ग्यारहों को दिखाई दिया। वह उन्हें किद्रोन की तराई से पार कर यरूशलेम के बाहर ले गया। इस बार वह गतसमनी में नहीं गया, परंतु बैतनिय्याह के पास जैतून पर्वत पर गया (लूका 24:50)। उसने उनसे कहा कि वे यरूशलेम को न छोड़ें जब तक कि वे पवित्र आत्मा प्राप्त न करें जिसकी प्रतिज्ञा उसने उन्हें दिया था। चेलों ने यीशु से पूछा कि क्या इस्त्राएल के राज्य के पुनः स्थापित होने का समय आ गया था। उसने उत्तर दिया, "परंतु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे, और यरूशलेम, सारे यहूदिया और सामरिया में, यहाँ तक कि पृथ्वी के छोर तक तुम मेरे साक्षी होंगे।" अब उसके जाने का समय आ गया, वह पल जो कि परमेश्वर की अनंत योजना में था। उसने अपने हाथ उठाए और उन्हें आशीष दिया। तब वह उनके देखते देखते ऊपर उठा लिया गया। और बादल ने उसे उनकी आँखों से ओझल कर दिया। जबकि वे उसे जाते हुए आकाश की ओर एकटक देख रहे थे, दो पुरुष श्वेत वस्त्र पहिने हुए उनके पास आ खड़े हुए। उन्होंने कहा, "गलीली पुरुषों, तुम खड़े खड़े आकाश की ओर क्यों देख रहे हो? यही यीशु जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, वैसे ही फिर आएगा जैसे तुमने उसे स्वर्ग में जाते देखा है।" चेलों की तुरंत प्रतिक्रिया श्रद्धापूर्ण थी। लूका कहता है, "तब उन्होंने उसे प्रमाण किया" (लूका 24:52)। शीघ्र ही बड़े आनंद के साथ वे यरूशलेम को लौट गए। इब्रानियों में हम पढ़ते हैं, "वह पापों को धोकर ऊँचे पर महामहिम की दाहिनी ओर बैठ गया" (इब्रा. 1:3)। वहाँ वह हमारा निवेदनकर्ता (1यूहन्ना 2:1), महायाजक (इब्रा. 4:14), और मध्यस्थ (इब्रा. 12:24) है। एक विश्वासी का दैनिक पवित्रीकरण हमारे प्रभु की निवेदन तथा महायाजकीय सेवकाई पर आधारित है। वह दिन आता है जब वह जैतून पर्वत पर महिमा के साथ प्रकट होगा, जैसा कि उसने प्रतिज्ञा किया है। तथापि, कलीसिया के उठाए जाने (थिस्सल. 4:13-18; 1 कुरिं. 15:50-58) से पहले वह महिमा में प्रकट होगा।

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