Class 8, Lesson 37: बपतिस्मा: जीवन में लागू करना

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हम ने बपतिस्मे के सिद्धांतों का अध्ययन किया अब हम यह सीखेंगे कि इन्हें एक विश्वासी के जीवन में किस प्रकार लागू किया जा सकता है।हम जानते हैं कि जो व्यक्ति प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण करता है वह उसी क्षण नई सृष्टि बन जाता है। प्रेरित पौलुस कहते हैं-‘‘इसलिए यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है। पुरानी बातें बीत गई हैं, देखों सब बातें नई हो गई हैं।’’ ;2 कुरि 5:17। हो सकता है कि हम इन बातों की गहराई को पूरी रीति से समझ न सकें, परन्तु मुख्य बात हम समझ सकते हैं कि यह मसीह के साथ एक हो जाना है ;रोमि6:3-5। ‘‘जो हमारा जीवन है।’’ ;कुलु. 3:4। कितना अद्भुत है यह! वास्तव में यह हमारा सौभाग्य है। पिता परमेश्वर यही चाहते हैं कि उनके पुत्र/पुत्रियाँ उनके पुत्रा प्रभु यीशु के ही समान हों, इस पृथ्वी पर रहकर भी और फिर स्वर्ग में भी! यह प्रभु की आज्ञा है कि एक विश्वासी जिसका आंतरिक परिवर्तन हुआ है वह इस बात को बपतिस्मे के द्वारा संसार को बता दे। यह मसीह के साथ एक हो जाने के चिन्ह हैं। सबसे पहले उसे प्रभु की मृत्यु की समानता में होना है। अर्थात् उसे यह मान लेना है कि वह मसीह यीशु के साथ मर गया। ध्यान दें कि मसीह यीशु की मृत्यु पाप के लिए थी, अतः हमें अब मृत्यु सहने की आवश्यकता नहीं है, परन्तु हमें पाप के प्रति मरा हुआ होना चाहिए। ;रोमि. 6:2। पाप के प्रति मर जाने का अर्थ है कि अब पाप से कोई संबंध् न रखना। पौलुस पूछते हैं, ‘‘हम जब पाप के लिए मर गए तो फिर आगे को उसमें कैसे जीवन बिताएं?’’;रोमि. 6:2। गलातियों 6:14 कहता है, ‘‘संसार मेरी दृष्टि में और मैं संसार की दृष्टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ।’’हम मृत देह के साथ क्या करते हैं? हम उसे दफना देते हैं। अतः यह मानने पर कि हम पाप के लिए मर चुके तब एक विश्वासी को बपतिस्मा में अपने प्रतीकात्मक दफन किए जाने के बारे में सोचना चाहिए। एक सच्चा विश्वासी इसका इंजतार देर तक नहीं कर सकता। उस कूशी खोजे के समान वह भी प्रभु की आज्ञा मानने की शीघ्रता करेगा। जो बपतिस्मा में पानी के भीतर जाता है वह ऐसे पानी से बाहर आता है जैसे कब्र में से। यह हमारे प्रभु यीशु के जी उठने का प्रतीक है। इस प्रकार वह व्यक्ति प्रभु के साथ पुनरुत्थान की समानता में हो जाता है। अब उसे नए जीवन की सी चाल चलना चाहिए। ;रोमि6:4। ‘‘नए जीवन की सी चाल’’ क्या है? इस संदर्भ में नयापन पुनरुत्थान के संबंध में कहा गया है, इस कारण वह शक्ति और सामथ्र्य को दिखाता है। अतः बहुतायत का मसीही जीवन जीने और प्रभावकारी गवाही के लिए बपतिस्मे में प्रभु की आज्ञा का पालन करना आवश्यक है। इस बात पर ध्यान दें कि जब एक विश्वासी बपतिस्मा लेने का निर्णय करता है तब शत्रु का भयंकर विरोध होता है।यह न सोचें कि बपतिस्मा लेने के साथ ही मसीह में हमारी समानता समाप्त हो जाती है। मात्रा प्रतीकात्मक कार्य समाप्त होता है, परन्तु उसके वास्तविक सत्य हमारे जीवन में कार्य करते रहते हैं। हम प्रतिदिन मसीह के साथ मरते हैं। जहाँ तक पाप का सवाल है हम उसके प्रति मृतक के समान हैं। हमें पाप के प्रति अपने अंगों को मार देना है ;कुलु. 3:5,रोमियों 8:13। परन्तु हम मसीह के साथ जीवित हैं ;इपिफ 2:1। और जीवन जीना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। ;रोमि 12:2 जिसमें हम अपने प्रभु मसीह यीशु के स्वरूप में निरंतर परिवर्तित होते जाते हैं। ;रोमि 8:29। ये संभावनाएँ मसीही जीवन को अद्भुत बनाती हैं। अपने जीवन को प्रभु यीशु को समर्पित करने के द्वारा हम दिन प्रति दिन परिपक्व होते जाते हैं। फि1:21 में पौलुस कहते हैं-‘‘मेरे लिए जीवित रहना मसीह है और मर जाना लाभ है।’’ ‘‘मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ। अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है।’’ ;गला. 2:20। तेरी मृत्यु में बपतिस्मा लेकर,तेरे साथ मृत्यु की समानता में हो गए हम, तेरे साथ हमारा जीवन भी जी उठा,और तेरे साथ महिमा भी पाएंगे हम।पाप, संसार और शैतान से,तेरे लहू से छुड़ाए गए हम,संसार में रहेंगे अजनबी बनकर,तेरे साथ परमेश्वर के लिए जीवित हम।।

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