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लेखक: मीका ने यहूदा में भविष्यद्वाणी की। वह यशायाह कामकालीन था ;यशा. 1:1 मीका 1:1। उसके नाम का अर्थ है‘‘यहोवा के समान कौन है?’’इस भविष्यद्वाणी में मुख्यतः बताया गया है 1. परमेश्वर से दूर जाने के कारण जो दंड इस्राएल को मिला। 2. सच्चे पश्चाताप के साथ जब वे वापस परमेश्वर के पास आए तो उन्हें शांति प्राप्त हुई। 1. दंड = अध्याय 1-3 2. शांति = अध्याय 4-8 इस पुस्तक के बाँटे जाने के आधर पर बाइबल के विद्वान इसे यशायाह की पुस्तक का लघु रूप कहते हैं। दण्ड और चेतावनी ;अध्याय 1-3 ये अध्याय उस समय का विवरण देते हैं जब राजा आहाज के दिनों में अश्शूरियों ने यहूदा पर चढ़ाई की थी ;1:6-16( 2 राजा 173-16। यह दण्ड इस्राएल के पाप के कारण आया। ;1:5। पद 6 और 7 में हम सामरिया के विनाश के विषय में पढ़ते हैं। पद 9 और 10 में हम यहूदा पर आक्रमण के विषय में पढ़ते हैं। इस्राएल के अगुवे भी बिगड़ गए थे। उन्होंने लोगों से पाप करवाया ;3:1द्ध अपना कार्य करने के लिए उन्होंने घूस लिया और दिखावा किया कि उनकी शिक्षा और न्याय यहोवा की ओर से है। ;3:11 परिणामस्वरूप परमेश्वर ने उन्हें भयंकर दण्ड दिया। आश्वासन ;अध्याय 4, 5 इन अध्यायों में अपने लोगों के प्रति परमेश्वर के व्यवहार में एक परिवर्तन देखते हैं। उनके पश्चाताप करने पर परमेश्वर न केवल दया दिखाते हैं परंतु उनसे अच्छे भविष्य का वायदा भी करते हैं। मीका ने भविष्यद्वाणी की कि परमेश्वर के मंदिर की महानता पिफर से स्थापित होगी। ;4:1। और ‘‘यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा।’’ ;पद 2 और ‘‘वह बहुत से देशों के लोगों का न्याय करेगा और दूर-दूर तक की सामर्थी जातियों के झगड़ों को मिटाएगा।’’ ;पद 3 अध्याय 5 इस्राएल को भविष्य में मिलने वाले विजय के विषय में कहता है। पद 2 स्पष्ट कहता है कि ये आशीषें उन्हें उस राजा के द्वारा प्राप्त होंगी जिसका जन्म बैतलहम में होगा। ‘‘हे बैतलहम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हशारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिए एक पुरुष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करनेवाला होगा, और उसका निकलना प्राचीन काल से, वरन् अनादिकाल से होता आया है।’’ ;पद 2। यह प्रभु यीशु मसीह के जन्म स्थान के विषय में की गई भविष्यद्वाणी है जो मत्ती 2:5 में पूरी हुई। इस्राएल पर अभियोग: परमेश्वर इस्राएल पर अभियोग लगाते हैं कि उनके लिए सब कुछ करने के बावशूद भी वे परमेश्वर से दूर चले गए। ;6:1-5। परन्तु परमेश्वर उनसे कहते हैं, ‘‘हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि क्या अच्छा है और यहोवा इसे छोड़ और तुझ से क्या चाहता है कि तू न्याय से काम करे और कृपा से प्रीति रखे और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?’’ ;पद 8।क्षमा: ;अध्याय 7 इस्राएल नैतिक रूप से पतित हो चुका था परन्तु भविष्यद्वक्ता उनके साथ खड़े होकर उनके लिए परमेश्वर से विनती करता है। ;पद 7। अंततः परमेश्वर अपने लोगों को बचाएगा और उसके शत्रु लज्जित होंगे।यरूशलेम पिफर बनाया जाएगा और उसकी सीमाएँ बढ़ाई जाएँगी। ;11-13। बंधूँए अपनी बंधूँआई से लौट आएँगे। आशा की एक किरण के साथ इस पुस्तक का अंत होता है और पद 18-20 में हम परमेश्वर के प्रति स्तुति-गान देखते हैं। नहूम नहूम एल्कोश वासी था, जो संभवतः गलील का कपफरनहूम ही था।उसके नाम का अर्थ है‘‘आश्वासन’’। निश्चित रूप से वह यहूदा के लिए आश्वासन का संदेश लेकर आया क्योंकि उसकी भविष्यद्वाणी अश्शूरियों के विनाश के विषय में थी। अश्शूर की राजधनी नीनवे थी। आपको याद होगा कि परमेश्वर ने नीनवे के विरु( न्याय का संदेश योना के द्वारा भेजा था। नीनवे नगर के सब लोगों ने मन पिफराया था और दण्ड से बच गए थे। लगभग 150 वर्षों के पश्चात् वही अश्शूरी लोग संसार के सबसे दुष्ट जाति बन गए। अतः 661 ई.पू. में उनके विनाश का संदेश परमेश्वर की ओर से नहूम के पास आया। 612 ई.पू. में अश्शूर की राजधनी नीनवे पूरी रीति से नाश किया गया। इस पुस्तक को 3 भागों में बाँटा जा सकता है। न्यायी, न्याय और उद्धार। 1. न्यायी: ;1:1-8 ‘‘यहोवा जल उठनेवाला और बदला लेनेवाला और जलजलाहट करने वाला है, यहोवा अपने द्रोहियों से बदला लेता है, परन्तु यहोवा विलम्ब से क्रोध् करने वाला और बड़ा शक्तिमान है।’’ ;पद 2। 2. न्याय: ;पद 8-9 ‘‘परन्तु वह उमड़ती हुई धरा से उसके स्थान का अन्त कर देगा और अपने शत्रुओं को खदेड़कर अन्ध्कार में भगा देगा।’’ इससे हम जो आत्मिक पाठ सीखते हैं वह यह है कि जो न्याय अविश्वासियों पर आनेवाला है वह इससे भी भयंकर होगा। ;प्रका. 29:11-15। 3. उद्धार : यहोवा यों कहता है, ‘‘चाहे वे सब प्रकार से सामर्थी हों, और बहुत भी हों, तौभी पूरी रीति से काटे जाएँगे और शून्य हो जाएँगे। मैं ने तुझे दुःख दिया है, परन्तु पिफर न दूँगा। क्योंकि मैं अब उसका ;अश्शूरियोंद्ध जूआ तेरी गर्दन पर से उतारकर तोड़ डालूँगा, और तेरा बंध्न पफाड़ डालूँगा।’’ ;1:12-13। नीनवे लुप्त हो जाएगा यह यहूदा के लिए खुशखबरी थी। ;1:15द्ध। इसका जिक्र पौलुस रोमियों 10:15 में करते हैं-एक सुसमाचार प्रचारक पापियों के लिए शांति का संदेश लाता है।आगे के अध्यायों में हम नीनवे के संपूर्ण विनाश के बारे में पढ़ते हैं जो वास्तव में पूर्ण हुआ।
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