Class 8, Lesson 5: हबक्कूक

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भविष्यद्वक्ता और उसका कार्य: इस भविष्यद्वक्ता के विषय में हमें अध्कि जानकारी नहीं मिलती।उसके नाम का अर्थ है‘‘आलिंगन करना’’। इस पुस्तक में दिया गया परमेश्वर का संदेश अति महत्वपूर्ण है। 3:19 में हम देखते हैं कि हबक्कूक एक भविष्यद्वक्ता होने के साथ-साथ एक कवि और संगीतकार भी था। राजा योशिय्याह के राज्य के अंतिम दिनों में उसने भविष्यद्वाणीकी।यह भविष्यद्वक्ता अक्सर ‘‘सुधर का पिता’’ भी कहलाता है, क्योंकि उसने ध्र्मी ठहराए जाने के सिद्धांत का आह्वान किया था, और यही धर्म-सुधर का भी मुख्य विषय था। रोमियों और गलातियों की पत्रियों में पौलुस इसकी व्याख्या करते हुए हबक्कूक के विषय में कहते हैं। ;हब2:4 रोमि. 1:17( गला. 3:11)( इब्रा. 10:38। यद्यपि हबक्कूक को बहुत सी कठिनाइयों और विरोध् का सामना करना पड़ा पिफर भी परमेश्वर के समीप रहा। उसने प्रार्थना की और उसके उत्तर की प्रतीक्षा की। यह पुस्तक परमेश्वर से उसके वार्तालाप का वर्णन करता है। इस पुस्तक को हम 3 भागों में विभाजित कर सकते हैं1. परमेश्वर के साथ पहला वार्तालाप 2. परमेश्वर के साथ दूसरा वार्तालाप 3. स्तुति गान। 1. पहला वार्तालाप: ;अध्याय 1:1-12 भविष्यद्वक्ता लोगों में अनर्थ के काम और उपद्रव देखता है। वह परमेश्वर से प्रार्थना करता है, परन्तु उसे कुछ उत्तर नहीं मिलता। इसलिए वह कहता है ‘‘लूट-पाट और उपद्रव होते रहते हैं और न्याय का खून हो रहा है।’’ तब परमेश्वर कहते हैं कि क्रूर जाति के कसदियों द्वारा उन्हें दण्ड दिया जाएगा। दूसरा वार्तालाप: ;1:12-2:20 अपने दूसरे वार्तालाप में हबक्कूक परमेश्वर से कहता है कि क्या दुष्ट इस्राएल को दण्ड देने के लिए कसादियों का उपयोग करना सही है, क्योंकि वे तो और भी अध्कि दुष्ट हैं। वह अपने प्रश्न के उत्तर की प्रतीक्षा करता रहता है। ;2:1। तब यहोवा ने उसे उत्तर देकर कहा, ‘‘दर्शन की बातें लिख दे क्योंकि दर्शन की बातें नियत समय में पूरी होने वाली हैं। चाहे इसमें विलम्ब हो, तौभी वह पूरी होगी।’’ ;2-3 भविष्यद्वक्ता का स्तुति गीत: ;अध्याय 3 भविष्यद्वक्ता को अपनी सभी प्रार्थनाओं का उत्तर प्राप्त हो गया। इस कारण वह परमेश्वर की स्तुति करता है। ‘‘उसका तेज आकाश पर छाया हुआ है, और पृथ्वी उसकी स्तुति से परिपूर्ण हो गई है।’’ ;पद 3। ‘‘चाहे अंजीर के वृक्षों में पूफल न लगें, और न दाखलताओं में सफल लगें,तौभी मैं यहोवा के कारण आनंदित और मगन रहूँगा। और अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूँगा।’’ ;भजन 4:7 भी पढ़ें। सपन्याह भविष्यद्वक्ता: सपन्न्याह राजा हिजकिय्याह के परिवार से था। यहूदा के राजा योशिय्याह के दिनों में उसने भविष्यद्वाणी की। उसके नाम का अर्थ है‘‘परमेश्वर के द्वारा आश्रय दिया गया।’’उसका कार्य: भविष्यद्वक्ता के सेवाकाल में थोड़ी सी जागृति तो आई परन्तु शीघ्र ही उनका नैतिक पतन हो गया और राजा नबूकद्नेस्सर के आक्रमण के द्वारा परमेश्वर ने उन्हें दण्ड दिया। परमेश्वर के लोगों को बधूँआई में बेबीलोन जाना पड़ा। तीन भविष्यद्वाणियाँ 1. परमेश्वर के जलन की आग = इस्राएल के प्रति: ;1:18 अध्याय 1:1-18 में भविष्यद्वक्ता परमेश्वर के जलन की उस आग के विषय में कहता है, जिसके द्वारा पूरी पृथ्वी भस्म हो जाएगी। अतः‘‘परमेश्वर यहोवा के सामने शान्त रहो। क्योंकि यहोवा का दिन निकट है।’’ ;पद 7द्ध। भविष्यद्वक्ता स्पष्ट कहता है कि दुष्ट अपना दण्ड पाएँगे। 2. परमेश्वर के जलन की आग = समस्त संसार के प्रति: जब इस्राएल परमेश्वर से दूर भटककर अन्य देवताओं की उपासना करने लगा तो परमेश्वर के लिए यह आवश्यक था कि अन्यजातियों के द्वारा उन्हें दण्ड दें। वैसे ही दुष्ट अन्यजातियों को भी दण्ड देना आवश्यक था। मोआबियों और अम्मोनियों के विषय में परमेश्वर की योजना स्पष्ट थी। परमेश्वर कहते हैं कि ‘‘मैं ने यह ठान लिया है कि जाति-जाति के और राज्य-राज्य के लोगों को मैं इकट्ठा करूँ कि उन पर अपने क्रोध् की आग पूरी रीति से भड़काऊँ, क्योंकि सारी पृथ्वी मेरी जलन की आग से भस्म हो जाएगी।’’ ;3:8। 3. परमेश्वर के जलन की भयंकर आग का बुझना: ;3:9 परमेश्वर का न्याय लोगों में पश्चाताप लाया। मन पिफराने वाले को परमेश्वर क्षमा करते हैं। ‘‘उस समय मैं देश-देश के लोगों से एक नई और ( भाषा बुलवाऊँगा, कि वे सब के सब यहोवा से प्रार्थना करें,और एक मन से उसकी सेवा करें।’’ सपन्याह परमेश्वर के लोगों के भविष्य के विषय में कहता है, ‘‘इस्राएल के बचे हुए लोग न तो कुटिलता करेंगे और न झूठ बोलेंगे,और न उनके मुँह से छल की बातें निकलेंगी। वे चरेंगे और विश्राम करेंगे, और कोई उनको डरानेवाला न होगा।’’ ;3:13। अतः ‘‘हे सिय्योन ऊँचे स्वर से गा, हे इस्राएल जय जयकार कर। हे यरूशलेम अपने संपूर्ण मन से आनंद कर और प्रसन्न हो।’’ ;3:14।

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