यीशु ने ऐसा प्रेम किया,
निज प्राण को क्रूस पर दे दिया,
ताकि हो प्रायश्चित मेरा,
असीम! और अद्भुत प्रेम।
कोः- असीम! और अद्भुत उसका प्रेम,
असीम! और अद्भुत उसका प्रेम,
यीशु ने ऐसा प्रेम किया,
असीम! और अद्भुत प्रेम।
2. कांटो का ताज उसने पहना,
पसल्ली में भाला भी सहा,
बुझाई क्रोध अग्नि ज्वाला,
असीम! और अद्भुत प्रेम।
3. शांति और नव-जीवन मिला,
पिता से मेल-मिलाप हुआ,
मध्यस्थ है वह सर्वदा,
असीम! और अद्भुत प्रेम।
4. हृदय आनन्दित रहता है,
प्रभु जब साथ होता है,
धन्य आगमन की खुशी है,
असीम! और अद्भुत प्रेम।