ज्योति से यीशु की
दूर है अंधियारी,
फूल उठी मन में
प्रेम की फुलवारी।
1 तन-मन तू सब धन तू
मालिक तू जीवन है तू,
जल थल में बादल में
शक्ति तेरी गर्जन है तू,
कण-कण में दिख पड़ी
छवि तेरी न्यारी।
2 मार सहे क्रूस चढ़े
रक्त बहे कुछ न कहे,
कृपा तेरी मुक्ति मेरी,
तेरा वचन साथ रहे,
पापिन से प्रभुजी
प्रीत तेरी न्यारी।
3 शब्द तेरा गूँज उठा
जाग उठी मेरी लगन,
सप्त-सुरन प्यार की धुन
झूम उठा सारा गगन,
प्रेम में डुब गई
यह दुनिया सारी।